इस व्रत से आपके जीवन में सुख सृमद्धि आती है और धन का अभाव दूर होता है Іयदि कोई व्यक्ति इस व्रत को 11 या 21 शुक्रवार पूरे विधि विधान से करता है तो माँ लक्ष्मी उसपे कृपा करती है तथा उसकी हर मनोकामना पूर्ण करती है Ι लाल कपड़ा ,रोली ,अक्षत (चावल ),फल -फूल , मिष्ठान्न ,तांबे का कलश ,देशी घी दीपक Ι– पूजा आरम्भ करने से पहले लक्ष्मी माता के आठ स्वरुपों को प्रणाम करके लक्ष्मी स्तवन श्लोक का पाठ करे –– तांबे का कलश लें और उसके ऊपर सोने या चाँदी का सिक्का कटोरी में रखें और उस कलश को चौकी पर अक्षत (चावल ) रखकर उस पर स्थापित करें Ι– यदि सोने या चाँदी का सिक्का न हो तो कोई गहना या रुपया भी रखा जा सकता है Ι– इसके पश्चात कलश पर और माँ लक्ष्मी पर जल चढ़ाएँ Ι– जल चढ़ाने के बाद रोली -अक्षत लगाकर देशी घी का दीपक जलायें Ι– इसके पश्चात व्रत कथा पढ़े और आरती करके प्रसाद बांटे Ι– श्री यंत्र की पूजा करने से व्यापार और धन में वृद्धि होती हैΙपहले एक शहर में जहाँ लोग मिल -जुल के रहा करते थे और एक दूसरे के दुख – सुख में साथ दिया करते थे Ι पर नए समय मे किसी को किसी की परवाह नहीं – दया ,परोपकार ,भक्ति भाव जैसे संस्कार कम होकर बुराइयाँ अधिक होगयी Ιपर एक कहावत है कि “हजारो निराशा में एक आशा छिपी होती है “Ι ठीक उसी तरह शहर में कुछ अच्छे लोग भी रहते थे Ιऐसे अच्छे लोगों में शीला नाम की स्त्री और उनके पति थे Ι शीला धार्मिक स्वभाव की थी और उनके पति विवेकी और सुशील थे Ιशीला और उनके पति ईमानदारी से जीवन बिताते थे और ईश्वर भक्ति किया करते थे Ιलोग उनकी बहुत प्रशंसा किया करते थे Ι शीला की गृहस्थी खुशी – ख़ुशी चल रही थी ,पर कहा जाता है की विधाता के लिखे लेख को कोई नहीं समझ सकता Ιशीला का पति जल्द करोड़पति बनने के सपने देखने के कारण गलत लोगो की संगत में पड़ गया और करोड़पति होने के बजाए अपना सब कुछ गवाँ बैठा और रास्ते पर भिखारी जैसी हालत हो गई Ιऔर दो वक्त का भोजन भी मुश्किल हो गया Ι परन्तु इस मुश्किल वक्त में भी उसने भगवान पर भरोसा बनाये रखा ,और दुःख सहने लगी Ι कहा जाता है कि सुख के पीछे दुःख और दुःख के पीछे सुख ‘ आता ही है Ιअचानक एक दिन दोपहर को उनके दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी Ι शीला सोच में पड़ गई इस वक्त कौन होगा ,उसने दरवाजा खोला तो सामने एक वृद्ध महिला खड़ी थी Ι उनके चेहरे पर तेज था कि उन्हें देखते ही शीला के मन में अपार शांति छा गई Ιमाँजी (वृद्ध महिला ) ने कहा क्यों शीला पहचाना नहीं Ι शीला ने कहा आपको देख कर मुझे बहुत खुशी हो रही है पर मै आपको पहचान नहीं पा रही Ι माँजी ने कहा हर शुक्रवार को जब मंदिर में भजन कीर्तन होते है तब हम वहाँ मिलते है Ι]उन्होंने कहा तुम इतने दिनों से मंदिर नहीं आई इसलिए मै तुमसे मिलने चली आई Ιमाँजी के प्रेम भरे शब्दो से शीला का हृदय पिघल गया और वह रो पड़ी Ιमाँजी ने कहा परेशान मत हो बेटी और अपनी परेशानी मुझे बताओ Ιशीला ने माँजी को अपनी सारी कहानी सुनाई Ι मांजी ने कहा दुखी मत हो बेटी ,तुम अपने हिस्से का दुःख झेल चुकी हो अब तुम्हारे सुख के दिन अवश्य आएँगे Ιमांजी ने कहा तू लक्ष्मी जी की भक्त है इसलिए उनका व्रत कर ।ऐसा कह कर उन्होने उसे सारी व्रत विधि समझाई।शीला ने व्रत करने का संकल्प लिया।अगले दिन शुक्रवार था उसने पूरे विधि विधान से व्रत किया और सबसे पहले प्रसाद पति को खिलाया। प्रसाद खाते ही पति के व्यवहार में फर्क आया। इससे उसके मन में व्रत को लेकर श्रृद्धा और बढ़ गई । शीला ने पूरे मन से इक्कीस शुक्रवार का व्रत पूर्ण किया और मांजीके कहे अनुसार उद्यापन भी किया।और पूरे भक्ति भाव से प्रार्थना कि हे माँ लक्ष्मी मैंने आपका व्रत करने की जो मन्नत माँगी थी वह आज पूर्ण की , तो हे माँ मेरे सारे दुःख व परेशानियाँ दूर कीजिए और हम सबका कल्याण कीजिए Іआपका यह व्रत जो भी पूरे मन से करे उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो І विधि पूर्वक व्रत करने से शीला को उसका तुरंत ही फल मिला Іउसका पति अच्छा आदमी बन गया और मेहनत से व्यवसाय करने लगा ,जिससे उसको काफी धन लाभ हुआ Іघर मे पहले जैसी सुख शांति आ गई І हे माँ धनलक्ष्मी जैसे आप शीला पर प्रसन्न हुई वैसे आप ,आपका व्रत करने वाले सभी लोगों-जितने भी शुक्रवार की मंन्नत माँगी हो ,उतने शुक्रवार यह व्रत पूरी श्रद्धा के साथ रखना चाहिए ,आखिरी शुक्रवार को इसका उद्यापन करना चाहिए Ι– पूजा अर्चना करने के बाद लक्ष्मी जी के सामने एक श्री फल (नारियल ) फोड़ें Ι– कुवारी कन्या , 7 कन्याओ को और अगर शादी शुदा स्त्री है तो 7 सुहागनों को खीर खिलाएँ और उनके – इसके पश्चात उन्हें वैभव लक्ष्मी व्रत की पुस्तके भेंट करे और प्रणाम करे Ι – माँ लक्ष्मी का वंदन करे और प्रार्थना करें कि ” हे माँ जैसे आपने मेरी मनोकामना पूरी की है वैसे सभी की मनोकामना पूरी करे “Ι
Vaibhav Lakshmi Vrat katha – वैभव लक्ष्मी व्रत कथा; Vaibhav Lakshmi Vrat udyapan vidhi – वैभव लक्ष्मी व्रत उद्यापन विधि ; Laxmi Mata Ki Aarti – माता लक्ष्मी की आरती This is the most famous Aarti of Mata Lakshmi. Tum bin yaghya na hove, Vstar na koi pata Khaan-paan ka vaibhav, sab Tumse aata. ... Khan-Pan Ka Vaibhav, Sab Tumase Aata ... Om Jai Lakshmi Mata॥ Mahalakshmi Ji Ki Aarti…
Om Jai Lakshmi Mata॥ Planetary Movements
Om Jai Lakshmi Mata. Om Jai Lakshmi Mata.
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September 14, 2018 by laxmimata.
Vaibhav Lakshmi Aarti - Read complete aarti Om jai lakshmi mata, Maiya jai lakshmi mata, Tumko nis din sewa, Hari vishnu vidhata, Maiyai jai lakshmi mata, Uma rama brahmaani tum hi jag mata.
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